ये तेल भी एक दिन फुक जाएगा ये सांस भी एक दिन रुक जाएगा
बेड़ा पार उसी का है जो सामने रब के झुक जाएगा
कितनी दुनिया गुजर गई और कितनी और भी आएगी
कितनी है मौजूद यहां पर मौत सभी को आएगी
ना चढ़ती जवानी पर घमंड करें एक रोज बुढ़ापा आएगा
चलना फिरना होगा मुश्किल टुकड़ा खाट पर खाएगा
ये हुस्न जवानी बस कुछ दिन के तेरी चमड़ी भी सिलवट पड़ जाएंगे
ये रंग तेरा ढल जाएगा फिर बच्चे तुझे चिढ़ाएंगे
तुझे टाइम पर टुकड़ा मुश्किल से और खुद ही मजे उड़ाएंगे
तू कोई खिदमत इन्हें कहेगा फिर ये तुझे डांटेंगे
तू बैठा खामोश रहेगा माल तेरा यह बाटेंगे