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Ibtadaye ishq hai rota h kya

Ibtadaye ishq hai rota h kya 
Age age dekhye hota h kya

Neend ab tere mukaddar me nhi
Raat ki pichhle pahar sota h kya

Ibtadaye ishq hai rota h kya 
Age age dekhye hota h kya

Ye nishane ishq hai jate nhi
Daagh chhati ke abas dhota hai kya

Gir ke uthna uth ke chalna sikh le
Baghe manzil is tarah hota h kya

--- Meer Taqi Meer

Who is God?

According to Islam:

He is Allah, [who is] One. Allah, the Eternal Refuge. He neither begets nor is born, nor is there to Him any equivalent. [Quran 112]

When Allah wants to create or do anything he just says Be:

His command is only when He intends a thing that He says to it, "Be," and it is. [Quran 36:82]



According to Christianity:


God is spirit, and those who worship him must worship in spirit and truth. [John 14:6]. The Rock, his work is perfect, for all his ways are justice. A God of faithfulness and without iniquity, just and upright is he. [Deuteronomy 32:4]

According to Jews:


According to Hinduism:

You at your birth are Varuna, O Agni. When you are kindled, you are Mitra. In you, O son of strength, all Gods are centered. You are Indra to the mortal who brings oblation. You are Aryaman, when you are regarded as having the mysterious names of maidens, O Self-sustainer. [Rigveda 5.3.1-2]

According to Buddhism:



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References:



अगर कभी मेरी याद आए | Amjad Islam Amjad

अगर कभी मेरी याद आए तो
चांद रातों की नर्म दिलगीर रोशनी में किसी सितारे को देख लेना
अगर वह नाहे फलक से उड़ कर तुम्हारे कदमों में आ गिरे
तो जान लेना वो सितारा था मेरे दिल का
अगर ना आए मगर यह मुमकिन है
कि किस तरह है कि तुम किसी पर निगाह डालो
तो उस की दीवारें जा न टूटे
वो अपनी हस्ती भूल न जाना
अगर कभी मेरी याद आए
गुरेज करती हवा की लहरों पर हाथ रखना
मैं खुश्बुओं मैं तुम्हें मिलूंगा
मुझे गुलाबों के पत्तियों में तलाश करना
मैं औश के कतरों के आईने में तुझे मिलूंगा
अगर सितारों में, उसके कदमों में, खुशबू में न पाओ मुझको
तो अपने क़दमों में देख लेना
मैं गर्द होती मुशफातों में तुझे मिलूंगा
कहीं रोशन चिराग देखो तो जान लेना
के हर पतंग के साथ में भी बिखर चुका हूं
तुम अपने हाथों से उन पतंगों के खाक दरिया में डाल देना
मैं खा बनकर समंदरों में सफ़र करुंगा
किसी न देखे हुए जज़ीरे पे  रुक के तुम को सदायें दूंगा
समंदरों के सफर पर निकले तो उस जज़ीरे पर भी उतरना
अगर कभी मेरी याद आए 
-- अमजद इस्लाम अमजद